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पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध
प्रिय विद्यार्थी मित्रों आज हम देखेंगे पेड़ की आत्मकथा निबंध। Ped ki aatmkatha essay in Hindi
प्रिय मित्रों वृक्ष एवं पेड़ पौधों का हमारे जीवन में अनन्य साधारण महत्व है। पेड़ों के कारणहीं सभी सजीव जीवित रह सकते हैं। लेकिन हम मनुष्य को पेड़ों के उपकारोंके बारे में सोचने एवं बात करने के लिए वक्त कहां है? इसी बात का दुख प्रदर्शित करने के लिए पेड़ बोलने लगे तो, पेड़ अपने भाव व्यक्त करने लगे तो, हमारे साथ क्या बोलेंगे? यही हमारी आज के निबंध पेड़ की आत्मकथा,(ped ki atmakatha) या फिर मैं पेड़ बोल रहा हूं mein ped bol raha hu) निबंधमें देखेंगे। इस निबंध को हम |पेड़ का मनोगत| भी कह सकते हैं |
Ped ki aatmkatha Hindi nibandh |
प्रिय मित्र यहां पर हमने पेड़ की आत्मकथा विषय पर दो से अधिक निबंध लिखे है | आप यह निबंध पढ़िए और अपने शब्दों में पेड़ की आत्मकथा विषय पर निबंध लिखने का प्रयास कीजिए\ यहां पर दिए गए निबंध केवल आपके अभ्यास हेतु दिए गए हैं |
|पेड़ हमारे जीवन के अस्तित्व का आधार है। जब तक पृथ्वी पर पेड़ मौजूद रहेंगे बस तभी तक सभी सचिवों का अस्तित्व रहेगा। इसलिए हमें पेड़ों की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए।
तो फिर चले ,आज हमारे साथ यह पेड़ क्या बातें कर रहा है यह जानते हैं पेड़ की आत्मकथा ped ki atmakatha essay in hindi इस सुंदर निबंध में।
इन निबंध को जैसे-तैसे मत लिखिए। निबंध लेखन एक कला है। यह प्रयास करने के बाद विकसित हो जाती है। यहां दिए गए पेड़ की आत्मकथा निबंध को आप केवल अभ्यास के लिए इस्तेमाल करें। आपको ढेर सारी शुभकामनाएं तो चलिए पढ़ते हैं हम पेड़ की आत्मकथा निबंध।
पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध
Ped ki aatmkatha Hindi nibandh
प्रिय मित्रों नमस्कार मैं एक पेड़ बोल रहा हूं। आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में मेरी भी दो बातें सुन लीजिए । यही मेरी आप सब से विनती है। मैं आज आपको अपने दिल का हाल बताने वाला हूं । आप मेरी बातें दिल से सुन लीजिए । बस इतनी ख्वाहिश लेकर आपसे बात करने के लिए आज मैं बेकरार हो गया हूं।
बारिश के दिन थे। बारिश का मौसम शुरु होकर शायद एक महीना ही हुआ होगा। तब मैं एक बीज के रूप में था। खेलते खेलते बच्चों ने कुछ बीज यहां पर लगा दिए। और फिर मेरा जन्म हुआ। कुछ दिनों तक उसी बीच के अंदर मैं अपने सभी अंग समेटे सो रहा था। प्यारी सी धरती मां ने मुझे अपने प्यार की गर्मी थी और बरसात के ठंडी फुहार के कारण मुझ में चेतना जगी।
सबसे पहले धरती का सीना फाड़ कर अंकुर बनकर में बाहर निकला। धीरे से जब मैंने धरती से ऊपर आकर देखा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। इतने विशाल विश्व में मेरा भी कुछ अस्तित्व निर्माण होगा ,इस विचार से मैं मन ही मन में बहुत खुश था। इतने बड़े संसार को देखकर मैं चकित ही रह गया। कुछ दिनों में मैं विकसित होकर हरा-भरा वृक्ष बन गया और सब की सेवा करने का आनंद लेने लगा।
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जब से मैंने होश संभाला है ,तब से मैं प्राणी मात्र की सेवा कर रहा हूं। मेरी शाखाएं भी बहुत बढ़ गई है और विस्तार बढ़ने के कारण मेरी छाव भी बहुत ही घनी होती है। जब मेरी छांव में जीव आकर बैठते हैं तब मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। प्रकृति के अनेक अमूल्य रत्नों में से एक अनमोल रत्न हूं। मुझ पर सभी जनों का जीवन निर्भर करता है।
मैं जब छोटा था तब मुझे यह सब मालूम नहीं था। मुझे हमेशा यही डर लगा रहता था कि, कोई आकर मुझे काट ना दे । या फिर मुझे कुचल ना दे। मैं हमेशा इन्हीं ख्यालों में खोया रहता था एक अब मैं बड़ा हो जाऊंगा और मेरे भी घनी छांव में जीव बैठेंगे।
मैं जब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा तब प्रकृति के नियम को समझने लगा। और मुझ में से कट जाने का डर खत्म हो गया। मेरे पैरों का रंग हरा है, क्योंकि मुझ में पर्णहरित पदार्थ होता है। इसी पदार्थ के कारण मैं खुद के लिए खाना बना सकता हूं।मैं स्वयं के लिए खाना तो बनाता ही हूं लेकिन सभी सजीवों के लिए भी खाना बनाता हूं। खाना बनाने की मेरी एक विधि है । इस विधि को मनुष्य "प्रकाश संश्लेषण" कहते हैं।
आप मैं बहुत बड़ा हो चुका हूं। अन्य सभी बड़े पेड़ों के भक्ति मेरे शाखाएं भी विशाल हो गई है। मेरी इन शाखाओं पर बहुत से पंछियों ने अपने घर बनाए हुए हैं। जब पंछी सुबह अपने मधुर तानों से मुझे जगाते हैं, तब मैं बहुत ही खुश हो जाता हूं। इसी प्रसन्नता के साथ मेरा पूरा दिन गुजर जाता है।
वृक्ष से सभी को फल फूल छाया लकड़ी प्रदान करते हैं फिर भी लोग बड़ी निर्दयता से वृक्षों को काट देते हैं। मैं जब यह देखता हूं तो मुझे बहुत ही दु:ख होता है।
|पेड़ की आत्मकथा पर ८० शब्दों में निबंध लिखिए
प्रिय मित्रों में पेड़ बोल रहा हूं ।आज मैं आपको मेरे मन की बात बताने वाला हूं। सब्जियों में पुरानी और वनस्पति ऐसे दो भाग किए जाते हैं।
वृक्ष खुद का भोजन खुद ही बनाते हैं सूरज की किरणों के सहारे, वृक्षों के अंदर जो हरित द्रव्य होता है उसके सहारे से हम खाना बनाते हैं। वृक्ष सभी सचिवों को प्यार देते हैं। बदले में बहुत बार वृक्षों को मनुष्यों से प्यार नहीं मिलता बल्कि मनुष्य बड़ी बेरहमी से और बेदर्दी से वृक्षों को काट देते हैं।
हम बचपन से आपके साथ हैं। बचपन में आप हमारे लकड़ी के पालने में सोते थे। फिर अपनी युवावस्था में लकड़ी के बिस्तर पर सोते हैं। जीवन के अंत में, जब मरते हैं, तो हमारी लकड़ी का उपयोग नश्वर शरीर को जलाने के लिए भी किया जाता है। यानी हम तो आपके सच्चे साथी हैं, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक आपके साथ हैं, आप हमारे साथ इतना क्रूर व्यवहार क्यों करते हैं?
|आम के पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध
प्रिय वाचक मित्रों आपको यह पेड़ की आत्मकथा, ped ki aatmkatha Hindi nibandh कैसा लगा यह हमें जरूर बताएं। आपका मूल्यवान समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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