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आजादी का अमृत महोत्सव, निबंध क्र. १
75 साल हुए आजादी को चलो
आज फिर एकता दिखाते हैं
मिलकर आजादी का
अमृत महोत्सव मनाते हैं
| Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi- इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ को भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव के तौर पर मना रहा है|15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ था |आजादी के 75 साल का यह जस्ट 12 मार्च 2021 से शुरू हो चुका है जो 75 सप्ताह तक चलेगा 15 अगस्त 2023, 78 वे स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव का समापन होगा|
| Azadi ka Amrit Mahotsav essay in hindi |
आजादी का अमृत महोत्सव अर्थात 75 वीं वर्षगांठ पर मनाया जाने वाला भव्य त्यौहार जैसा कि हम सब लोग जानते हैं कि इस वर्ष यानी कि 2021 में भारत देश 75 साल का आजादी का जश्न आनंदसे मना रहा है।
किंतु इस आजादी का महोत्सव मनाने का सौभाग्य हमें ऐसे ही नहीं प्राप्त हुआ है बल्कि इस आजादी के लिए हमने बहुत सी मुसीबतों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
हम सभी लोग जानते हैं कि,जैसे हम सब को आजादी मिली उसी समय हमें बंटवारे का सामना भी करना पड़ा | बंटवारे के दौरान बहुतसे ऐसे लोग भी थे जो कि अपना घर बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें मजबूरी में अपना घर छोड़ना पड़ा | इसी तरह देश को आजादी मिली | आजादी के बाद भारत में विकास करनेकी बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि अंग्रेजी शासन के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी थी।
जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने के लिए आए थे तब उस समय पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का 23:00 से 25% हिस्सेदारी थी |एवं 20 दशक बाद जब हमें आजादी प्राप्त हुई यानी कि ,सन 1947 में हमारा पूरे विश्व के अर्थव्यवस्था में मात्र 3% ही हिस्सेदारी रह गई| इससे आप लोग समझ सकते हैं कि अंग्रेजी शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर पुरी तरह तोड़ डाली थी|
| Azadi ka Amrit Mahotsav
अंग्रेज भारत से कच्चा माल ले जाते थे और तैयार माल लाकर यहां पर बेचते थे |अतः जिससे हमारे देशवासी बहुत गरीब हो गए थे| लोकतंत्र का स्थापना करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती थी |करोड़ों लोगों की पहली बार मतदाता सूची तैयार करनी थी और लोगों को लोकतंत्र की जानकारी भी देनी थी| 1952 में जाकर पहली बार चुनाव हुए| लेकिन यह तैयारी करना कोई आसान काम नहीं था और ऐसे में भारत को एक धागे में बांधकर रखना अपने आप में ही एक बहुत बड़ी चुनौती थी, और एकता और अखंडता की समस्या आज भी हमारे भारत के सामने हैं|
भारत पर ब्रिटिशर्स ने 200 साल तक हमपर शासन किया | ना जाने कितने लोग शहीद हुए एवं कितनोने अपने प्राण को देश के लिए हंसते-हंसते कुर्बान कर दिए | तब जाकर 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ सन| 1947 से अब तक भारत ने कई बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की है |भारत में बहुत आर्थिक और तकनीकी तरक्की की है |भारत की अर्थव्यवस्था आज एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है| आजादी के बाद भारत तेजी से विश्व शक्ति बनकर उभरा है|
थोरियम पर आधारित परमाणु ऊर्जा विकसित करने वाला भारत एकमात्र देश है | भारत के पास खुद की बनाई हुई परमाणु पनडुब्बी आई.एन.एस. अरिहंत है | जिसमें हम अपने परमाणु हथियार सुरक्षित रख सकते हैं।
चांद और मंगल पर मानव रहित मिशन भेजने वाले 5 देशों में से एक भारत है| हमारा देश दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जिसमें हर वयस्क नागरिक को स्वतंत्रता के पहले दिन से ही मतदान का अधिकार दिया है |उत्पादन के मामले में भी भारत में कई बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ा है | भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है |सर्वाधिक पशुधन आबादी वाला देश भी भारत ही है| आने वाले समय में भी नए भारत के निर्माण के लिए नई नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही है| जिसमें हमारी सरकार "सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास" जैसी बातों पर जोर दे रही है|
महिलाओं और बच्चों के लिए प्रधानमंत्री ने राशन की दुकान पर पोषण युक्त चावल, तेल ,दाल, नमक आदि मुहैया कराने की बात की ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात भी उन्होंने की है |वैसे तो और भी बहुत सी योजनाएं बनाई जा रही है जिससे हमारा देश विश्व में और भी ज्यादा तरक्की करे | एवं अपने आप में सक्षम एवं आत्मनिर्भर बन सकेगा |अंत में मैं यह कहना चाहता हूं कि आजादी जो हमें इतनी चुनौतियों का सामना करने एवं अपने सारे सुखों को ठोकर मार कर प्राप्त हुई है |हमें उसका सम्मान करना चाहिए |जिससे भारत उन्नति की नई ऊंचाइयों को छू सके और विश्व में हमेशा ऐसे ही अपना नाम अग्रिम पंक्ति में बनाए रखें|
आजादी का अमृत महोत्सव पर निबंध , क्रमांक दो
भूमिका,
आज हर भारतीय के मन में उत्साह है क्योंकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं | इस आजादी के लिए हमने बहुत बड़ी कीमत चुकाई हैं मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसे समाज में स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार है संसार में सभी प्राणी स्वतंत्र रहना चाहते हैं यहां तक कि पिंजरे में बंद पक्षी भी स्वतंत्रता के लिए निरंतर अपने पंख फड़फड़ा रहता है । उसे सोने का पिंजरा सोने की कटोरी में रखा स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगता वह भी स्वतंत्र होकर मुक्त गगन में स्वच्छंद उड़ना चाहता है महाकवि तुलसीदास जी का कहना है की,
"पराधीन सपनेहु सुख नाही"
इस उक्ति का अर्थ यह है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है| सुख
पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है |पराधीनता एक तरह का अभिशाप होता है| पराधीनता के लिए कुछ लोग भगवान को दोष देते हैं ,लेकिन ऐसा नहीं है| वे स्वयं अक्षम होते हैं और भगवान को दोष देते रहते हैं| भगवान केवल उन्हीं का साथ देता है जो अपनी मदद खुद कर सकते हैं| महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था "स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है"।
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
15 अगस्त 1947 से पहले लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेज सरकार हम प्रशासन कर रही थी| इससे पूर्व 230 वर्षों तक मुगलों ने हम पर राज किया ,लेकिन धीरे-धीरे भारत के लोगों में राजनीतिक चेतना उत्पन्न होने लगी और भारतवासी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करने लगे |भारत वासियों ने लंबे संघर्ष के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त की|
सन 1857 को हमारा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ| अंग्रेजों ने इसे "गदर" या "विद्रोह" का नाम दिया| तो भारतीयों ने इसे स्वतंत्रता संग्राम कहा |रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब ,राव तुलाराम जैसे देशभक्तों ने अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए तलवार उठाई| इसमें देश के असंख्य वीरों ने खुलकर भाग लिया परंतु देश में कुछ ऐसे गद्दार और अंग्रेजों के पिट्ठू राजा भी थे जिन्होंने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अंग्रेजों का साथ दिया| इसलिए स्वतंत्रता का यह प्रथम प्रयास सफल नहीं हुआ।
भारत की स्वतंत्रता की कहानी भी लगातार संघर्षों और बलिदानों की कहानी है |स्वतंत्रता की चिंगारी जो 1857 में शुरू की थी ,उसे महात्मा गांधी ,पंडित नेहरू, लोकमान्य तिलक, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आदि ने शोला बना दिया।
भगत सिंह राजगुरु चंद्रशेखर आजाद ने इसे हवा दी| हम स्वतंत्रता पाने के लिए संघर्ष करते रहे| देश भक्तों ने जेल यात्राएं की, गोलियां खाई| अनेक वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया| राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अनेक बार सत्याग्रह किया | स्वतंत्रता उन्होंने दांडी यात्रा करके नमक कानून को भी भंग किया। अंग्रेज सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में भर दिया और जनता पर अत्याचार किए जाने लगे। अंत में 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में , "अंग्रेजों भारत छोड़ो" का नारा लगाया ।इस आंदोलन में बहुत से भारतीयों ने भाग लिया। परिणाम स्वरूप 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
भारत की पराधीनता और उसका शोषण
हमारे भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था | हमारा भारत कभी मानवता के सागर के लिए जाना जाता था | प्राचीन समय में हमारा देश सबसे ज्यादा उन्नति पर था | लेकिन कई सालों तक पराधीनता के होने की वजह से हमारे देश की स्थिति ही बदल गई है |भारत आज के समय में दुर्बल निर्धन और सिकुड़ कर रह गया है | स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कई महान लोगों ने अपने प्राणों को त्याग दिया था | लेकिन स्वाधीन होने के कई सालों बाद भी मानसिक रूप से हम अभी तक स्वाधीन नहीं हो पाए हैं | हमने विदेशी संस्कृति ,विदेशी भाषा को अपनाकर अपने आपको आज तक मानसिक पराधीनता से परिचित करवा रखा है।
आजादी का अमृत महोत्सव
आज जब हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं ,तो इस समय हम उन देश प्रेमियों को याद करते हैं , जिन्होंने अपने सारे सुखों को ठोकर मार कर अंग्रेजों से केवल इसलिए लोहा लिया था ताकि दूसरे देशवासी एवं भावी भारतीय सुख चैन और सम्मान के साथ जी सके | निश्चित रूप से उनके बलिदान रंग लाए परंतु अब हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम देश को इतना सुरक्षित और मजबूत बनाएं कि कभी कोई विदेशी इसकी और आंख उठाकर भी ना देख सके। केवल स्वतंत्रता दिवस में ही हमारा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। हम सबको अपने अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और देश हित में विभिन्न समस्याओं का सामना करना चाहिए
राष्ट्र उन्नति में स्वाधीनता का महत्व
हमारा यह कर्तव्य होता है कि हमें किसी भी राजनीतिक, सांस्कृतिक और किसी भी अन्य प्रकार की पराधीनता को अपनाना नहीं चाहिए | हर राष्ट्र के लिए स्वाधीनता का बहुत महत्व होता है | कोई भी राष्ट्र तभी उन्नति कर सकता है जब वह स्वतंत्र हो | जो देश या जाति स्वाधीनता का मूल्य नहीं समझते हैं और स्वाधीनता को समझने के लिए प्रयत्न नहीं करते हैं वह किसी ना किसी दिन पराधीन जरूर हो जाते हैं। और उनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है | स्वाधीनता को पाने के लिए कुर्बानी देनी पड़ती है | स्वाधीनता का महत्व राष्ट्र में तभी होता है जब पराधीनता प्रकट नहीं होती है|
उपसंहार_
हमें आत्मनिर्भर भारत , शक्तिशाली भारत , स्वावलंबी भारत के सपने को सच करते हुए अपने कर्तव्य परायण भावना का परिचय राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर करना चाहिए | ताकि हम शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर सके| ताकि भविष्य में कोई भी आसुरी शक्ति भारत की ओर आंख उठाकर भी ना देख सके | हमारे पूर्वजों ने हमें जो आजादी दी है उसे हमें सुरक्षित रखना है तथा उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहना है | इसी प्रकार हम आजादी का अमृत महोत्सव | Azadi ka Amrit Mahotsav मनाने वाले है|
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